दिल्ली के नशा मुक्ति केंद्र में लोगों को रखा जा रहा जबरनः BJP
नई दिल्ली
दिल्ली विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजेंद्र गुप्ता ने केजरीवाल सरकार पर सनसनीखेज आरोप लगाए हैं. उन्होंने कहा कि दिल्ली में कई नशा मुक्ति केंद्र गैर कानूनी तरीके से चल रहे हैं, जहां कई लोगों को उनकी इच्छा के विरुद्ध रखा जा रहा है.
बीजेपी नेता विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि दिल्ली में चल रहे नशा मुक्ति केंद्रों में मानसिक रोगियों के मानव अधिकारों के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है. केंद्र सरकार द्वारा पिछले साल मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम-2017 अधिसूचित किया जा चुका है, लेकिन दिल्ली सरकार ने अभी तक इस बिल को अधिसूचित करने के लिए कोई कदम नहीं उठाया.
इस दौरान उन्होंने केजरीवाल सरकार से पूछा कि अभी तक इस अधिनियम को लागू करने के लिए प्रक्रिया शुरू क्यों नहीं की गई और दिल्ली में नशा मुक्ति केंद्रों के नियमन के लिए अभी तक नियम कायदे क्यों नहीं बनाए गए?
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि वो छह जून से शुरू होने वाले विधानसभा सत्र में इस मामले को उठाएंगे. उन्होंने दिल्ली हाईकोर्ट को सौंपी गई राज्य कानूनी सेवा अधिकरण (डीएसएलएसए) की रिपोर्ट को आधार बनाते हुए आरोप लगाया कि नशा मुक्ति केंद्रों में लोगों का शारीरिक शोषण किया जा रहा है. डीएसएलएसए के मुताबिक 750 लोगों को इन नशा मुक्ति केंद्रों में उनकी इच्छा के विरुद्ध रखा गया है.
विजेंद्र गुप्ता ने कहा कि रिपोर्ट के मुताबिक 124 नशा मुक्ति केंद्रों में से 28 पूरी तरह से बंद पड़े हैं. इन केंद्रों के संचालन में अनियमितताएं पाई गईं और अधिकांश केंद्रों में पर्याप्त आधारभूत सुविधाएं और सुरक्षा व्यवस्था या कर्मचारी नहीं हैं.
रिपोर्ट को आधार बनाते हुए गुप्ता ने कहा कि इन केंद्रों में साफ-सफाई नहीं है. वेंटिलेशन और शौचालय इस्तेमाल करने लायक नहीं हैं. एक-एक नशा मुक्ति केंद्र में पांच-पांच व्यक्तियों को गैर कानूनी रूप से कमरे में बंद करके रखा गया.
बीजेपी नेता गुप्ता ने कहा कि केंद्र सरकार द्वारा पारित अधिनियम नशा मुक्ति केंद्रों में रहने वाले मानसिक चुनौतियों से ग्रस्त व्यक्तियों को मानसिक स्वास्थ्य की देखभाल और सेवाएं मुहैया कराने की गांरटी देता है. साथ ही सुनिश्चित करता है कि किसी भी मानसिक रोगी के साथ किसी भी प्रकार की ज्यादती न हो और उसके अधिकारों का हनन न हो.
विजेंद्र गुप्ता ने आरोप लगाया कि उन्होंने अक्तूबर 2017 में इस मुद्दे को उठाकर दिल्ली सरकार का ध्यान आकर्षित किया था, जिसका केजरीवाल सरकार पर कोई असर नहीं हुआ है और इसलिए आगामी विधानसभा सत्र में वो इस मुद्दे को उठाने जा रहे हैं.