अंदर का नजारा देख उड़ जाएंगे आपके हाेश, मायावती ने खाली किया सरकारी बंगला

लखनऊ
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद उत्तर प्रदेश के करीब सभी पूर्वमुख्यमंत्रियों को अपने सरकारी बंगले खाली करने पड़े हैं। वैसे ताे सभी मुख्यमंत्रियाें के बंगले खाली करने की खबरे मीडिया में प्रकाशित हुईं लेकिन जाे सबसे ज्यादा चर्चा में रही वाे बसपा सुप्रीमाे मायावती। मायावती के बंगले पर सभी की नजरें टिकी हुई थीं,जिसकाे लेकर राजनीतिक गलियारों में भी काफी हलचल रही। बंगले काे बचाने के तमाम हथकंड़े के बावजूद भी मायावती काे अपना सरकारी आवास खाली करना पड़ा। आइए जानतें हैं कि उसमें एेसा क्या है जिसे वह किसी भी सूरत में खाली नहीं करना चाहती थीं। 

मायावती ने बताया कि वह जिस बंगले में रह रही थी वह कांशीराम का यादगार विश्राम स्थल है। जिसकी वजह से वह वहां रह कर देखभाल किया करती थी। उन्होंने बताया कि 13 जनवरी 2011 में (बसपा शासनकाल) 13 माल एवेन्यू कांशीराम जी यादगार स्थल घोषित किया जा चुका है। उसके कुछ भाग में मुझे इस उद्देश्य से रहने की अनुमति दी गई थी कि इस स्थल का रखरखाव एवं सुरक्षा मेरी देखभाल में हो सके। 

इसके साथ उन्होंने कहा था कि 23 दिसंबर 2011 में राज्य संपत्ति विभाग ने  6, लाल बहादुर शास्त्री मार्ग क़ो उन्हें आवास के रूप में आवंटित किया था। इसलिए मैं उसे खाली कर विभाग को सौंप दूंगी, लेकिन चर्चा में तो उनका कांशीराम का यादगार विश्राम स्थल वाला बंगला था। जिसकी वजह से मायावती पर बंगला ना खाली करने के आरोप भी लग रहे थे। खैर मायावती ने अपने ऊपर लगे सभी आरोपों को गलत साबित करते हुए वह बंगला खाली कर दिया है। 

बंगला खाली करने के साथ ही चला सियासी दांव
बंगला खाली करने के साथ ही मायावती ने ऐसा सियासी दांव चला रहा जिससे पार पाना योगी सरकार और भाजपा दोनों के लिए आसान नहीं होगा। उन्होंने इसे 'कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल' घोषित करने के साथ ही इसकी देखरेख का जिम्मा सरकार के हवाले कर दिया। ऐसे में अब यदि सरकार इसे 'कांशीराम जी यादगार विश्राम स्थल' के तौर पर ही संरक्षित करती है तो उनकी राजनीतिक जीत होगी। यदि सरकार ऐसा न करके कुछ और बनाती है तो मायावती इसे दलित स्वाभिमान से जोड़कर मुद्दा बनाएंगी। अब तक कानून व्यवस्था समेत तमाम मुद्दों पर योगी सरकार को घेरने वाली मायावती कुल मिलाकर अब बंगले के जरिए भी सरकार पर दबाव बनाएंगी।

मीडिया कर्मियों को दिखाया बंगला 
मायावती ने अपने पुराना बंगला 2 जून को खाली कर दिया। इस दौरान उन्होंने प्रेस कॉंंफ्रेस भी की। मायावती ने आए मीडिया कर्मियों को घूमघूम कर अपना पूरा बंगला दिखाया।  जिस बंगले की चारदीवारी इतनी ऊंची बनी थी कि परिंदा भी पर न मार सके, वो पत्रकारों के लिए खोल दिया गया। अपने बेड रूम से लेकर अपना किचन तक दिखाया। बंगला दिखाने के पीछे उनका मकसद यही था कि पूरा बंगला कांशीराम स्मारक ही है। वह तो सिर्फ देखरेख के लिए यहां रहती थीं। अपने ऊपर लगने वाले 'दौलत की बेटी' के आरोपों को खारिज करने की भी कोशिश की और दिखाया कि किस तरह वह साधारण तरीके से रहती थीं।

बंगले में कांशीराम से जुड़ी यादों के म्यूरल दीवारों पर बने 
बंगले में एक-एक चीजों को संजोग कर रखा है। सफाई को लेकर भी वह काफी ज्यादा ध्यान देती है। बिना अपनी इजाजत के कोई अंदर प्रेवश तक नहीं कर सकता। प्रेस कॉन्फ्रेंस भी वह बाहर लॉबी में ही करती थीं। लॉबी के अंदर जाने पर लोगों के चप्पल जूते भी उतरवाए जाते थे। वहीं खुद उन्होंने अपने बंगले के बारे में एक एक चीज बताई। वहीं बंगले में लगी कांशीराम के साथ उनकी भव्य प्रतिमा भी रोशनी में जगमगा रही थी। इसके अलावा ज्यादातर हॉल में कांशीराम से जुड़ी यादों के म्यूरल दीवारों पर बने हैं।

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