‘मोदीकेयर’ के बाद केंद्र की 50 करोड़ भारतीयों के लिए एक और कल्याणकारी योजना: 2019 पर नजर

नई दिल्ली 
सत्ता में 4 साल पूरी कर चुकी नरेंद्र मोदी सरकार वोटर्स को रिझाने के लिए मेगा हेल्थ प्रॉटेक्शन प्रोग्राम 'मोदीकेयर' के बाद एक और बड़ा दांव खेलने जा रही है। सरकार 50 करोड़ नौकरीपेशा लोगों के लिए कल्याणकारी योजना को लाने की तैयारी में हैं। ब्लूमबर्ग की एक रिपोर्ट के मुताबिक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कुछ बेहद अहम और महत्वाकांक्षी योजनाओं को शुरू करने की तैयारी में हैं, लेकिन 2019 के आम चुनाव से पहले सीमित समय और संसाधनों की कमी इन योजनाओं के क्रियान्वयन में आड़े आ सकती हैं। 
 

रिपोर्ट के मुताबिक पीएम मोदी 2019 से पहले 3 कल्याणकारी योजनाओं को लागू करना चाहते हैं। ये योजनाए हैं- ओल्ड एज पेंशन, लाइफ इंश्योरेंस और मैटर्निटी बेनिफिट्स। 

इन कल्याणकारी योजनाओं से सरकार को 2019 के चुनावों में राजनीतिक फायदा मिल सकता है लेकिन इनसे देश के राजकोषीय घाटे पर और दबाव बढ़ेगा, जो पहले ही एशियाई देशों में सबसे ज्यादा है। इससे पहले सरकार ने करीब 10 करोड़ गरीब परिवारों को 5 लाख रुपये के मुफ्त बीमा की योजना का ऐलान किया था। 'मोदीकेयर' के नाम से चर्चित स्वास्थ्य बीमा योजना से करीब 50 करोड़ लोग लाभान्वित होंगे। 

सरकार ने 15 केंद्रीय श्रम कानूनों को सरल करके और उनका विलय करके एक कानून का रूप देते हुए एक बिल का ड्राफ्ट तैयार किया है जो असंगठित क्षेत्र समेत सभी कर्मचारियों को फायदा पहुंचाएगा। बिल को संसद के आगामी सत्र में पेश किया जा सकता है। 

एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर ब्लूमबर्ग से बातचीत में पुष्टि की कि सरकार 50 करोड़ वर्कफोर्स को सोशल प्रॉटेक्शन देने की तैयारी में है। हालांकि अधिकारी ने योजना के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं दी। योजना सभी वर्कर्स के लिए है लेकिन सरकार देश के कुल वर्कफोर्स के निचले 50 प्रतिशत को लेकर चिंतित है। उनके लिए सरकार कोई निश्चित राशि पेंशन के तौर पर दे सकती है, वहीं बाकी के वर्कफोर्स पेंशन के मद में या तो पूर्ण रूप से या आंशिक तौर पर योगदान दे सकते हैं। 

सरकार की इस योजना से गरीबी हटाने में भी मदद मिलेगी। बता दें कि भारत में दुनिया की करीब एक तिहाई गरीब आबादी बसती है। सामाजिक सुरक्षा पर भारत का खर्च उसके पड़ोसी देशों से भी कम है। सामाजिक सुरक्षा पर भारत अपनी जीडीपी का 2 प्रतिशत से भी कम खर्च करता है। भारत के कुल वर्कफोर्स का 90 प्रतिशत हिस्सा असंगठति क्षेत्र के तहत आता है और उन्हें किसी भी तरह की सामाजिक सुरक्षा नहीं मिली हुई है। 

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