पत्थरबाजों के खिलाफ केस वापस लेने से सुरक्षाबलों को होगा नुकसान: केंद्र

 नई दिल्ली 
केंद्र ने मंगलवार को राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग से कहा कि जम्मू-कश्मीर सरकार द्वारा पत्थरबाजों के खिलाफ दर्ज एफआईआर को वापस लेने के फैसले से वहां तैनात सुरक्षाबलों का मनोबल गिरेगा। इसके साथ ही केंद्र ने कहा कि इस फैसले से आतंकियों को आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने के लिए आम नागरिकों को ढाल की तरह इस्तेमाल करने का और साहस मिलेगा। 

सेना के 3 जवानों के बच्चों द्वारा दायर की गई याचिका के जवाब में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग को जवाब दिया है। केंद्र का कहना है यह राज्य सरकार का दायित्व है कि वह जम्मू- कश्मीर में तैनात सेना के जवानों के मानवाधिकारों को बचाने के लिए पत्थरबाजों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करे। बच्चों द्वारा दायर याचिका में पूछा गया है कि सेना के जवान जो मानवाधिकार हनन का शिकार है क्या उन्हें मानवाधिकारों की रक्षा करनेवालों की जरूरत नहीं है? इसके साथ ही उस याचिका में बच्चों ने इस बात का भी जिक्र किया है कि भारत के नागरिक, युवा और खासकर एक सेना के जवान के बच्चे होने के नाते वह उन जवानों को लेकर चिंतित हैं जिनकी तैनाती ऐसे अशांत क्षेत्रों में की गई है। 

इस याचिका में उस घटना का भी जिक्र है जब शोपियां में सेना के एक मेजर पर पत्थरबाजों पर गोली चलाने के लिए एफआईआर दर्ज की गई थी। रक्षा मंत्रालय द्वारा रिपोर्ट फाइल करने के बाद राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग ने 2 जून को मुख्य सचिव का जवाब भी 6 हफ्तों के अंदर मांगा था। 2 लेफ्टिनेंट कर्नल के और एक रिटार्यड सूबेदार के बच्चों ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग के मुख्य न्यायधीश एचएल दत्तु के सामने ऐमनेस्टी की उस रिपोर्ट का हवाला भी दिया है जिसमें जम्मू- कश्मीर के अशांत इलाकों में स्थानीय लोगों के मानवाधिकारों की रक्षा की बात की गई है लेकिन याचिकाकर्ताओं का कहना है इस रिपोर्ट ने वहां तैनात सुरक्षाबलों के मानवाधिकारों की रक्षा से मुंह मोड़ लिया है जिन्हें रोज पत्थरबाजों से जान का खतरा रहता है। 

याचिका के अनुसार जम्मू-कश्मीर में तब सेना की तैनाती की गई जब राज्य सरकार वहां की कानून-व्यवस्था को संभालने में असमर्थ हो गई लेकिन वहां का प्रशासन जिससे सेना को मदद की उम्मीद रहती है वह उनके मानवाधिकारों की रक्षा करने में असफल रहा। बता दें कि जम्मू-कश्मीर की सीएम महबूबा मुफ्ती ने कश्मीर में 4,327 पत्थरबाजों पर लगाए गए मुकदमों को वापस लेने के आदेश दिए थे। इस फैसले के पीछे सीएम की ये मंशा थी कि मुकदमों को वापस लेने से घाटी के युवाओं को उनके भविष्य के निर्माण के लिए एक नया मौका मिल सकेगा, साथ ही घाटी के युवाओं के लिए एक ऐसे माहौल का भी निर्माण हो सकेगा जिसमें वे अपने जीवन को एक सकारात्मक दिशा दे सकें। 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button