मुखर्जी की भागीदारी वाले कार्यक्रम के जरिए अपनी साख बढ़ाएगा आरएसएस

नई दिल्ली 
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) बुधवार से शुरू हो रहे दो दिन के कार्यक्रम में पूर्व राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी की मेजबानी करने की तैयारी कर रहा है। आरएसएस ने इस कार्यक्रम का तेजी से प्रचार शुरू कर दिया है। वह इसे 'सबको साथ लेकर चलने की अपनी सोच को दिखाने' के मौके के तौर पर ले रहा है। 
 
आरएसएस ने मंगलवार को एक कार्यक्रम का आयोजन किया जिसमें उसके प्रचारकों ने स्वाधीनता संग्राम में संघ की भूमिका की जानकार दी और यह बताया कि 'कैसे एक परिवार ने हमेशा उसके बारे में झूठ फैलाने की कोशिश की है।' इसी तरह के कार्यक्रम मुंबई, पुणे, नागपुर, लखनऊ, भोपाल, बेंगलुरु और कुछ अन्य शहरों में आयोजित किए गए। इन कार्यक्रमों का मुख्य विषय राष्ट्रवाद पर जोर देने के साथ ही आरएसएस की सबको साथ लेकर आगे बढ़ने की सोच की जानकारी देना है। इनमें यह भी बताया जा रहा है कि आरएसएस को विभिन्न दलों के नेताओं से प्रशंसा मिली है। 

7 जून को मुखर्जी को आरएसएस के संघ शिक्षा वर्ग (ट्रेनिंग कैंप) के दीक्षांत समारोह में शामिल होना है, जो शाम 6:30 पर शुरू होगा। मुखर्जी ध्वजारोहण समारोह में भी शामिल होंगे और आरएसएस काडर की फिजिकल एक्सरसाइज परफॉर्मेंस को देखेंगे। इसके बाद उनका भाषण होगा, जो आधे घंटे चल सकता है। आरएसएस का आमंत्रण स्वीकार करने की वजह से मुखर्जी की आलोचना हुई है। उन्होंने सोमवार को इसका जवाब दिया था। मुखर्जी ने कहा था कि आलोचक जो भी कहें, वह उसकी परवाह किए बिना प्रोग्राम में शामिल होंगे और उन्हें जो भी कहना होगा, नागपुर में कहेंगे। कांग्रेस के कम से कम तीन वरिष्ठ नेताओं- जयराम रमेश, रमेश चेन्नीथला और सी के जाफर शरीफ ने चिट्ठी लिखकर मुखर्जी से आरएसएस के कार्यक्रम में शामिल होने का फैसला बदलने की अपील की थी। 

वहीं, संघ का रुख साफ करते हुए आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. मनमोहन वैद्य ने एक हिंदी अखबार में लेख लिखा था। उन्होंने कहा था कि राजनीतिक दलों को विचारों का आदान-प्रदान करना चाहिए ना कि उसकी आलोचना। उन्होंने कहा था कि इस तरह की असहिष्णुता पिछले साल जयपुर लिट फेस्ट में भी दिखी थी, जब उन्हें संघ की सोच सामने रखने के लिए बुलाया गया था। उस समय सीताराम येचुरी और एम ए बेबी ने इसका विरोध किया था। उन्होंने कहा कि अभिव्यक्ति की आजादी का सबूत एक शख्स की दूसरे शख्स के नजरिये को समझने की क्षमता है। 

आरएसएस की पत्रिका ऑर्गनाइजर ने अपने होम पेज पर ‘प्रणब दा ऐट आरएसएस हेडक्वॉर्टर: वाय इनटॉलरेंट ब्रिगेड इज शॉक्ड?’ नाम से एक कवर स्टोरी भी दी है। इसमें मुखर्जी के कार्यक्रम में शामिल होने के फैसले का स्वागत किया गया है। इसमें कहा गया है कि जो लोग राष्ट्रवादी मूल्यों का समर्थन करते हैं और जिन्होंने अपनी जिंदगी सामाजिक बदलाव में लगाई है, वे अलग राजनीतिक विचारधारा का होने पर भी आरएसएस कैंप में शामिल होने का न्योता स्वीकार करेंगे।’ 

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