16 दिनों बाद काम पर लौटीं 368 नर्सेस, दो दिनों में हुई 16 मेजर सर्जरी

रायपुर
 प्रदेश की तीन हजार से अधिक नर्सेस के एक साथ हड़ताल पर जाने के बाद बेपटरी हुई सरकारी अस्पतालों की व्यवस्था अब पटरी पर लौट आई है। सबसे ज्यादा प्रभावित रहे मेडिकल कॉलेज अस्पतालों में एक बार फिर से मेजर, माइनर सभी ऑपरेशन शुरू हो चुके हैं। डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल में बीते दो दिनों में 16 मेजर सर्जरी और पांच एंडोस्कोपी हुईं। हड़ताल के दौरान जिन मरीजों को आगे की तारीखें दी गई थीं, उन्हें भी सूचना पहुंचाई जा रही है।

आंबेडकर अस्पताल की नर्सिंग असिस्टेंट स्टॉफ, 39 संविदा नर्सों को छोड़कर शेष सभी 368 नर्सों के जाने से रूटीन की पूरी व्यवस्था चरमरा गई थी। वार्डों में मरीजों को ड्रिप चढ़ाने, इंजेक्शन लगाने, समय पर दवाईयां देने, ड्रेसिंग, थैरेपी, ऑपरेशन थिएटर (ओटी) की प्री और पोस्ट ऑपरेटिव प्रोसिजर प्रभावित हो रहे थे।

हालांकि इनकी जगह एएनएम की पढ़ाई कर रही छात्रओं को जिम्मा सौंपा गया था, लेकिन 368 ऐसी नर्सेस जो वर्षों से वार्ड के 30-40 मरीजों को एक साथ संभालती हैं, उनके जैसी ड्यूटी दे पाना मुमकिन नहीं था। नर्सेस के काम पर लौटने से अस्पताल प्रबंधन ने राहत की सांस ली है। प्रबंधन का मानना है कि अगर हड़ताल लंबी खिंचती तो हालात बिगड़ सकते थे।

16 दिन में 70 से अधिक ऑपरेशन टाले गए

अस्पताल सूत्रों के मुताबिक नर्सेस की 16 दिन हड़ताल के दौरान करीब 70 से अधिक ऐसे मरीजों को सर्जरी के लिए आगे की तारीख दे दी गई थी, जिन्हें तत्काल सर्जरी की आवश्यकता नहीं थी। किमोथैरेपी तक प्रभावित हुई थी। हालांकि इमरजेंसी केस में ऑपरेशन किए गए।

की थी वैकल्पिक व्यवस्था

सभी नर्सेस ने सामूहिक हड़ताल का पत्र सौंपा था, ठीक उसी तरह सभी ने सामूहिक जॉइनिंग दी है। धीरे-धीरे पेंडिंग प्रोसिजर्स शुरू किए जा रहे हैं। पहले भी वैकल्पिक व्यवस्था के तौर पर इमरजेंसी सेवाएं दी जा रही थीं। – शुभ्रा सिंह ठाकुर, पीआरओ, डॉ. भीमराव आंबेडकर अस्पताल

बर्खास्तगी के डर से शून्य पर खत्म की हड़ताल, मांगों पर कमेटी गठित

नर्सेस की मांग पर स्वास्थ्य विभाग ने पांच सदस्यीय कमेटी गठित कर दी है, जो 45 दिनों में अपनी रिपोर्ट शासन को सौंपेगी। 45 दिन बाद सरकार मांगों पर निर्णय लेगी। स्वास्थ्य संचालक रानू साहू ने 'नईदुनिया' से बातचीत में कहा कि सभी मांगों पर विचार किया जाएगा। हर संभव और उचित निर्णय लिए जाएंगे। गौरतलब है कि काम के घंटे तय करने, रिक्त पदों पर भर्ती और पदोन्नति, 4500 ग्रेड पे, ग्रेड टू का दर्जा, समान प्रशिक्षण, समान कार्य, समान वेतन दिए जाने जैसी मांगें शामिल हैं।

सरकार ने नर्सेस की हड़ताल से चिकित्सकीय व्यवस्था प्रभावित होते देख, पहले एस्मा लगाया था फिर बर्खास्तगी का सर्कुलर सभी जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारियों (सीएमएचओ) को भेज दिया था। इस सर्कुलर के छह घंटे के बाद स्वास्थ्य संचालक रानू साहू केंद्रीय महिला जेल पहुंची, जहां नर्सेस बंद थीं। उनसे मुलाकात की। संचालक बाहर आईं और कहा- नर्सेस शून्य पर हड़ताल खत्म कर रही हैं, उन्होंने लिखित में दिया है। सरकार के बर्खास्तगी के आदेश के बाद नर्सेस ने हड़ताल खत्म करने का फैसला लिया। इसके पहले भी विभाग ने कमेटी बनाकर 45 दिन में निर्णय लेने की बात कही थी, तब वे नहीं मानी थीं।

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