देश का पहला ऐसा राज्य, जहां गुब्बारों के जरिये पहुंचाया जाएगा इंटरनेट

भारत सरकार ने Google के साथ साझेदारी करते हुए 400 रेलवे स्टेशनों को वाईफाई की सुविधा जरूर दे दी है. लेकिन आज भी कई ऐसे क्षेत्र हैं जो इंटरनेट कनेक्टिविटी से अछूते हैं. खासकर गांवों में इस तरह की बहुत समस्याएं है. इसी समस्या के समाधान के लिए उत्तराखंड सरकार ने नई तरकीब निकाला है. राज्य सरकार की इस पहल के कारण उत्तराखंड देश का पहला ऐसा राज्य बन गया है जहां गुब्बारों के जरिये यूजर्स को इन्टरनेट की सुविधा दी मिलेगी. यहां राज्य सरकार ने एरोस्टेट इंटरनेट बैलून लॉन्च किया. जो वाईफाई सेवाओं को वितरित करने का एक नया तरीका है.

पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में आज भी दूर-दराज के गांव सूचना व इंटरनेट तकनीक से अछूते हैं. विषम भौगोलिक परिस्थितियों वाले उत्तराखंड में संचार सेवा के अभाव में आपदा के दौरान राहत कार्य में बड़ी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. ऐसे में एरोस्टेट बैलून तकनीक काफ़ी कारगर साबित हो सकती है. बता दें कि इस इंटरनेट वाले बैलून के माध्यम से 7 किलोमीटर तक के दायरे में आने वाले लोग मोबाइल कनेक्टीविटी और इंटरनेट का इस्तेमाल कर सकेंगे.

सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (आईटीडीए) ने आईटी मुम्बई के सहयोग से देश में पहली बार एरोस्टेट का सफल प्रयोग किया है. इसमें कनेक्टिविटी प्लेटफ़ॉर्म, स्टेट वाइड एरिया नेटवर्क (स्वान) द्वारा उपलब्ध करवाई जाएगी. इस बैलून में वेदर स्टेशन, रेन गेज,नाइट विजन कैमरा आदि यंत्र लगे हुए हैं.

एरोस्टेट बैलून एक आकाशीय प्लेटफार्म है, जिसमें हल्की गैस भरकर आसमान में छोड़ा जाता है. बैलून को एक रस्सी की सहायता से जमीन से जोड़ा जाता है, जिससे वह विभिन्न संयन्त्रों के साथ काफी समय के लिए बिना ईंधन के वायुमण्डल में लहराता है. बैलून के न्यूनतम कंपन की गुणवत्ता के चलते इससे संचार, आकाशीय निगरानी, जलवायु निगरानी, व इसी प्रकार के अन्य कार्य किए जा सकते हैं.

बैलून को उपयुक्त वाहन में लेकर ज़रूरत के अनुसार एक जगह से दूसरी जगह ले जाकर कम समय में एक्टिव किया जा सकता है. आपातकालीन परिस्थितियों में इसमें लगे उपकरणों को सौर ऊर्जा के माध्यम से तकनीकी का उपयोग किया जा सकता है. इससे 5 एमबीपीएस तक डाटा स्पीड मिल सकती है.

आईडीटीए ने स्पष्ट किया कि उत्तराखंड में 16,870 गांव हैं जिनमें लगभग 680 गांवों में मोबाइल कनेक्टिविटी का आभाव है और इस प्रकार कोई इंटरनेट नहीं है. क्योंकि पहाड़ी एरिया होने के नाते इन क्षेत्र में केबलों को रिले करना काफी कठिन होता है. एयरोस्टैट प्रौद्योगिकी न केवल इन स्थानों में वाईफाई को सक्षम करेगी बल्कि किसी भी परिस्थिति की निगरानी करने में मदद करेगी.

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