संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर हुआ अमेरिका

वॉशिंगटन 
अमेरिका ने मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से बाहर होने का ऐलान कर दिया है। अमेरिका ने मानवाधिकार परिषद पर इजरायल विरोधी होने का आरोप लगाते हुए यह फैसला लिया है। अमेरिकी विदेश मंत्री माइक पॉम्पिओ और संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत निकी हेली ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इसकी घोषणा की और परिषद को राजनीतिक पक्षपात से प्रेरित बताया।  
 
पॉम्पिओ और निकी ने घोषणा करते हुए रूस, चीन, क्यूबा और मिस्र को जमकर सुनाया भी। अमेरिका का आरोप है कि उसके द्वारा संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद में सुधारों की कोशिशों को इन देशों ने पूरा नहीं होने दिया है। हेली ने उन देशों की भी आलोचना की जो अमेरिकी मूल्यों को साझा तो करते हैं लेकिन यथास्थिति को गंभीरता से चुनौती देने के इच्छुक नहीं हैं। UNHRC की स्थापना 2006 में हुई थी। इसका मकसद दुनिया भर में मानवाधिकार के मुद्दों पर नजर रखना है। 

बता दें कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप कई बार यह धमकी दे चुके हैं कि अगर 47 सदस्यों वाली इस परिषद में सुधार नहीं होंगे तो वॉशिंगटन इससे बाहर हो जाएगा। परिषद में अभी अमेरिका ने अपना आधा कार्यकाल पूरा किया है। 

सीएनएन के मुताबिक, हेली ने कहा कि लंबे समय से मानवाधिकार परिषद मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों का संरक्षक बना हुआ है। मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वालों का परिषद में चुना जाना जारी है। बता दें कि अमेरिका का यह फैसला UNHRC द्वारा ट्रंप प्रशासन की सीमा सुरक्षा नीति की आलोचना के एक दिन बाद आया है। इस नीति के तहत ही अवैध प्रवासियों के बच्चों को उनसे अलग किया जा रहा है। 

अमेरिका ने पूर्व राष्ट्रपति जॉर्ज डब्लू बुश के शासन काल में भी तीन साल तक मानवाधिकार परिषद का बहिष्‍कार किया था, लेकिन ओबामा के राष्‍ट्रपति बनने के बाद 2009 में वह इस परिषद में फिर से शामिल हुआ था। 

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