NEET-JEE के खिलाफ 6 राज्य पहुंचे सुप्रीम कोर्ट

नयी दिल्ली
छह राज्यों के मंत्रियों की ओर से सुप्रीम कोर्ट में रिव्यू अर्जी दाखिल कर नीट और जेईई एग्जाम कराए जाने के फैसले को चुनौती दी गई है। पश्चिम बंगाल के मंत्री मोलोय घटक, झारखंड के रामेश्वर उरांव, राजस्थान के रघु शर्मा, छत्तीसगढ़ के अमरजीत भगत, पंजाब के बीएस सिद्धू और महाराष्ट्र के उदय रवींद्र सावंत ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ रिव्यू पिटिशन दाखिल की है।

17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें नीट और जेईई एग्जाम के आयोजन को चुनौती दी गई थी और कहा गया था कि कोरोना के मद्देनजर एग्जाम स्थगित किया जाना चाहिए। सुप्रीम कोर्ट ने अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि क्या देश में सबकुछ रोक दिया जाए। क्या स्टूडेंट के साल यूं ही खराब होने दिया जाएगा? हम स्टूडेंट के भविष्य का एक साल बर्बाद नहीं कर सकते। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि कोरोना के दौरान जिंदगी को आगे बढ़ाना जरूरी है।

यचिकाकर्ता बोले- स्टूडेंट्स की सेफ्टी का सवाल
सुप्रीम कोर्ट में इन याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील सुनील फर्नांडिस ने अर्जी दाखिल कर कहा है कि यह स्टूडेंट्स की सेफ्टी का मामला है जो स्टूडेंट एग्जाम में बैठेंगे उनके सुरक्षा को लेकर चिंता है और इस मसले पर संतुष्ट करने वाला जवाब नहीं है। याचिका में कहा गया है कि केंद्र सरकार के पास वक्त नहीं है कि वह प्रत्येक जिले में नीट और जेईई के लिए एग्जाम सेंटर बनाए। लाखों स्टूडेंट को एग्जाम देना है और वह फिजिकल एग्जाम में बैठना नहीं चाहते। अगर 17 अगस्त के फैसले को रिव्यू नहीं किया गया तो देश की स्टूडेंट कम्युनिटी को जो हानि और डैमेज होगा उसकी भरपाई नहीं हो सकती।

सुप्रीम कोर्ट वापस ले आदेश: याचिका
याचिकाकर्ताओं ने कहा कि कोविड के समय एग्जाम देना न सिर्फ स्टूडेंट की हेल्थ का सवाल है बल्कि व्यापक पब्लिक हेल्थ की भी बात है और इसका विपरीत असर होगा। नैशनल टेस्टिंग एजेंसी ने कहा है कि 9.52 लाख प्रतिभागी जेईई मेंस में और 15.97 लाख नीट में बैठने वाले हैं। जेईई के लिए 600 सेंटर बनाए गए हैं और इस तरह एक सेंटर पर औसतन 1443 स्टूडेंट एग्जाम के लिए बैठेंगे। वहीं नीट एग्जाम में के सेंटर पर 415 स्टूडेंट बैठेंगे। इतनी बड़ी संख्या में एक सेंटर पर स्टूडेंट के बैठने से हेल्थ को जबर्दस्त खतरा है। कोविड में सोशल डिस्टेंसिंग की बात है और बड़ी संख्या मे भीड़ से बचने की बात है, उक्त आधार पर ही आदेश को वापस लिया जाना चाहिए।

एससी ने दी थी परीक्षा कराने की इजाजत
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर नीट और जेईई के प्रस्तावित एग्जाम को चुनौती दी गई थी। देश के अलग-अलग राज्यों के 11 स्टूडेंट्स ने अर्जी दाखिल कर कोरोना के मद्देनजर नीट और जेईई एग्जाम को स्थगित करने की गुहार लगाई थी। जेईई की परीक्षा एक से 6 सितंबर के बीच होने वाली है जबकि नीट की परीक्षा 13 सितंबर को होनी है। 17 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई वाली बेंच ने कहा था कि नैशनल टेस्टिंग एजेंसी ने कहा है कि तमाम सावधानियां बरती जाएंगी।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि हम नैशनल टेस्टिंग एजेंसी के फैसले में दखल नहीं देना चाहते, इस फैसले में दखल देकर स्टूडेंट्स के भविष्य को हम खतरे में नहीं डाल सकते हैं। अदालत ने अर्जी खारिज करते हुए कहा था कि अर्जी में मेरिट नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने अहम टिप्पणी कहते हुए कहा था कि जीवन को रोका नहीं जा सकता, हमें तमाम सेफगार्ड के साथ आगे बढ़ना होगा। क्या स्टूडेंट का साल खराब होने दिया जाए? स्टूडेंट का करियर एक साल बर्बाद नहीं किया जा सकता और एग्जाम को इजाजत दे दी थी। इसके बाद अब रिव्यू पिटिशन दाखिल की गई है।

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