तेजस्वी ने ट्वीट कर ली चुटकी, 2019 में नीतीश ही बने रहेंगे बिहार में NDA का चेहरा? 

नई दिल्ली 
बदलते सियासी घटनाक्रम के बीच नीतीश कुमार बिहार में एनडीए के बिग ब्रदर बने रहेंगे। जेडीयू ने नीतीश कुमार के नेतृत्व में ही राज्य में एनडीए के आम चुनाव लड़ने की बात कही है। सूत्रों के अनुसार बदले राजनीतिक समीकरण के बाद बीजेपी भी नीतीश कुमार को तरजीह देने के मूड में है और अगले आम चुनाव में राज्य में वही चेहरा बनेंगे। रविवार को नीतीश कुमार के साथ जेडीयू नेताओं की लंबी मीटिंग के बाद आगे की रणनीति पर चर्चा हुई। इस मीटिंग में जेडीयू के राष्ट्रीय महासचिव केसी त्यागी, पवन वर्मा और रणनीतिज्ञ प्रशांत किशोर के अलावा राज्य स्तर के नेता भी शामिल हुए। अब सात जून को पटना में एनडीए की मीटिंग में इस बात पर औपचारिक मुहर लग सकती है। इस मीटिंग में बीजेपी के अलावा सभी सहयोगी दलों के नेता भाग लेंगे।  
 

वहीं बिहार की विपक्षी पार्टी आरजेडी के नेता तेजस्वी यादव ने जेडीयू की बैठक पर चुटकी भी ली है। तेजस्वी ने ट्वीट कर कहा, 'सुशील मोदी बताएं कि क्या नीतीश जी बिहार में नरेंद्र मोदी से बड़े और ज्यादा प्रभावशाली नेता हैं?, नीतीश के प्रवक्ता सुशील मोदी क्या अब भी जेडीयू के हाथों अपने सबसे बड़े नेता को बेइज्जत कराते रहेंगे?' 
 
वहीं दूसरी तरफ सीटों के बंटवारे को लेकर भी दोनों पार्टियों में चर्चाएं शुरू हो गई हैं। जेडीयू नेता अजय आलोक ने कहा, 'सीटों के बंटवारे को लेकर जेडीयू में कहीं भी भ्रम की स्थिति नहीं है। हम 25 सीटों पर चुनाव लड़ते रहे हैं और बीजेपी 15 पर। अब कई अन्य पार्टियां भी हमारे साथ हैं तो सभी बड़े नेता मिलकर सीटों के बंटवारे पर फैसला करेंगे। बिहार में एनडीए गठबंधन का चेहरा नीतीश कुमार होंगे।' 
 

इससे पहले बिहार में जारी सियासी घमासान के बीच केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान ने भी नीतीश कुमार की बिहार की स्पेशल स्टेटस की मांग का समर्थन कर बीजेपी पर और दबाव बढ़ा दिया था। रविवार को रामविलास पासवान ने नीतीश की बिहार को स्पेशल स्टेटस देने की मांग का सपोर्ट किया। उन्होंने इस संबंध में अपने बेटे चिराग पासवान के साथ बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह से भी मुलाकात की। मुलाकात के बाद रामविलास ने कहा कि बिहार एक पिछड़ा हुआ राज्य है इस तर्ज पर विशेष दर्जा जरूर दिया जाना चाहिए। 

शनिवार को ही केंद्र में बिहार से बीजेपी के अन्य सहयोगी और केंद्रीय मंत्री उपेंद्र कुशवाहा ने कहा था कि लगातार हो रहे उपचुनाव में हार की वजह को जानने के लिए एनडीए की बैठक होनी चाहिए और साथ ही बीजेपी को अपने सहयोगियों के साथ बैठ कर सीटों के बंटवारे पर बात करना चाहिए। ताजा घटनाक्रम के बीच बीजेपी और जेडीयू नेताओं के अनुसार, बिहार में गठबंधन पर कोई खतरा नहीं है। सूत्रों के अनुसार हालिया घटनाक्रम के बीच बिहार से तीनों सहयोगी दलों ने आम चुनाव से पहले अपनी अहमियत बनाने और सीटों में अपना हक लेने की कवायद के बीच बीजेपी पर दबाव बनाया है। 

बिहार में लोकसभा की 40 सीटे हैं। 2014 में बीजेपी के साथ रामविलास पासवान और उपेंद्र कुशवाहा थे। लेकिन इस बार नीतीश के भी इस गठबंधन के साथ जुड़ने के बाद सीटों का बंटवारा पेचीदा हो सकता है। यही कारण है कि तीनों दल संयुक्त रूप से बीजेपी पर पर दबाव बनाकर सीटों का समझौता जल्द करने की बात भी परोक्ष रूप से कर रहे हैं। 

तीनों दलों को आशंका है कि अगर कम सीट मिले तो इसका प्रभाव पार्टी पर पड़ सकता है। इसके लिए तीनों दल अपनी बात रखकर बीजेपी के पाले में गेंद फेंकने का इरादा रखते हैं। जेडीयू के सीनियर नेताओं के अनुसार आंध्र प्रदेश में चंद्रबाबू नायडू के बीजेपी से अलग होने के बाद और महाराष्ट्र में शिवसेना के बागी तेवर के बने रहने के बीच बीजेपी अब और सहयोगी को नाराज करने का जोखिम नहीं सकती और वह कुछ सीटें अपने कोटे से देने को तैयार हो जाएगी। बीजेपी ने भी संकेत दिए हैं कि वह कुछ सीट सहयोगियों के लिए कुर्बान करने को तैयार रहेगी। साथ ही राज्य में नीतीश कुमार ही इस गठबंधन का चेहरा भी बने रहेंगे। 

वहीं जेडीयू बिहार को स्पेशल स्टेटस के मुद्दे को अगले कुछ दिनों में और आगे बढ़ाएगी और राज्य में संदेश देने की कोशिश करेगी कि वह राज्य से जुड़े हितों के लिए कोई भी कुर्बानी देने को तैयार है। 7 जून को एनडीए की मीटिंग भी बुलाई गई है

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