बजट के अभाव में रुकी मैपकास्ट के रिसर्च प्रोजेक्ट

भोपाल
मुख्यमंत्री के हाथ के सीधे नीचे कार्य करने वाली मप्र प्रौद्योगिकी एवं साइंस परिषद (मैपकास्ट) को बजट का अभाव झेलना पड रहा है। इससे जहां वैज्ञानिकों के रिसर्च वर्क और समाजिक गतिविधियां दो साल से ठप्प पडी हुई हैं। यहां तक तीन साल पहले जो प्रोजेक्ट दिए गए थे। उन्हें दूसरी किश्त नहीं मिलने से वे भी बर्बाद होने की कगार पर पहुंच गए हैं।

सूबे के मुख्या की परिषद मैपकास्ट बजट के अलाव में अपनी गतिविधियां संचालित नहीं कर पा रही है। इससे सैकडों की तादात में पडे रिसर्च प्रोजेक्ट धूल खा रहे हैं। क्योंकि तीन साल से प्रोजेक्ट को फंडिंग नहीं की गई है। शासन विगत तीन वर्षों से मैपकास्ट के वैज्ञानिक, अधिकारी और कर्मचारियों की सैलरी देने के लिए बजट आवंटित कर रहा है। बजट के अभाव में सरकारी और निजी कालेज और विश्वविद्यालयों को मिलने वाले रिसर्च प्रोजेक्ट नहीं दिए गए हैं।

ये प्रोजेक्टर साइंस, मेडिकल, टेक्नालाजी और समाजिक कार्यों से जुडे होते हैं। मैपकास्ट ने तीन साल पहले कुछ प्रोजेक्ट देकर पहली किश्त अदा कर दी थी, लेकिन बजट नहीं होने के कारण मैपकास्ट दूसरी किश्त अदा नहीं कर सका है। इससे साइंस, मेडिकल, टेक्नालाजी और समाजिक कार्यों के प्रोजेक्ट आधे अधूरे पडे हुए हैं। उन्हें दूसरी किश्त नहीं दी गई तो वे प्रोजेक्ट खराब हो जाएंगे।

जगरुकता कार्यक्रम भी जीरो
तीन साल से मैपकास्ट ने एनजीओ को समाजिक गतिविधियां संचालित करने के लिए बजट नहीं दिया गया है। एनजीओ समाज में फैली कुरितियों के खिलाफ कार्य करते हैं। वहीं एससी-एसटी के वर्ग के लिए जागरुकता कार्यक्रम भी संचालित नहीं हो रहे हैं। यहां तक कृषि क्षेत्र में भी कोई कार्य नहीं किया जा रहा है। इससे सभी गतिविधियां जीरो हो गई हैं।

इनोवेशन को मिलती है मदद
मैपकास्ट राज्य में होने वाले इनोवेशन के लिए राशि देने के साथ रिसर्चकर्ता को इनोवेशन करने के लिए रॉ मटेरियल और सुविधाएं मुहैया करने का कार्य भी करता है, जो बजट के अभाव में ठंडे बस्ते में पडी हुई है।

कोरोना पर भी कार्य रुका
प्रदेश की सबसे बडी समस्या कोरोना संक्रमण का फैलना बना हुआ है। कोरोना से बचाव के लिए ग्रामीण और पिछडे हुए क्षेत्रों में जागरुकता को लेकर कोई कार्यक्रम आयोजित नहीं कराए जा रहे हैं। इससे कोरोना संक्रमण फैलने का ज्यादा खतरा बढ सकता है।

 

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