जम्मू-कश्मीर और Pok में नहीं हो सकती कोई तुलना, भारत का संयुक्त राष्ट्र को जवाब
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जिनेवा
संयुक्त राष्ट्र ने कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर दोनों में कथित मानवाधिकार उल्लंघन पर अपनी तरह की पहली रिपोर्ट आज जारी की और इन उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच कराने की मांग की वहीं भारत ने कश्मीर पर संयुक्त राष्ट्र की उस रिपोर्ट को खारिज किया है जिसमें कथित तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन के आरोप लगाए गए हैं। भारत ने संयुक्त राष्ट्र की इस रिपोर्ट को गलत और खास नजरिये से प्रेरित बताते कहा है कि जम्मू-कश्मीर और Pok में नहीं हो सकती कोई तुलना नहीं हो सकती।
एक कड़ी प्रतक्रिया में विदेश मंत्रालय ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र की यह रिपोर्ट 'अत्यधिक पूर्वाग्रह' से ग्रसित है और झूठे नैरेटिव बनाने की कोशिश कर रही है। भारत ने साफ किया कि पूरा का पूरा कश्मीर भारत का हिस्सा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि नियंत्रण रेखा के दोनों तरफ लोगों पर नुकसानदेह असर पड़ा है और उन्हें मानवाधिकार से वंचित किया गया या सीमित किया गया। इस रिपोर्ट पर भारत की ओर से फिलहाल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है लेकिन सरकार का रूख रहा है कि वैध शिकायतों के समाधान के लिए भारतीय लोकतंत्र में सभी जरूरी प्रावधान हैं।
भारतीय अधिकारियों का कहना रहा है कि जम्मू कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर के बीच कोई तुलना नहीं हो सकती क्योंकि जम्मू कश्मीर में लोकतांत्रिक रूप से चुनी हुयी सरकार है जबकि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में मनमाने तरीके से पाकिस्तानी राजनयिक को प्रमुख नियुक्त किया जाता है। 1980 के दशक के अंत से जम्मू कश्मीर राज्य में विभिन्न तरह के हथियारबंद समूह सक्रिय हैं। भारतीय सुरक्षा बलों के हाथों हिज्बुल मुजाहिद्ददीन के आतंकवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद घाटी में अप्रत्याशित विरोध प्रदर्शन का भी जिक्र रिपोर्ट में किया गया है। इस तरह के प्रत्यक्ष सबूत हैं कि इन समूहों ने आम नागरिकों का अपहरण और उनकी हत्याएं , यौन हिंसा सहित विभिन्न तरह से मानवाधिकारों का उल्लंघन किया है ।
विदेश मंत्रालय ने रिर्पोट को किया खारिज
विदेश मंत्रालय ने कहा कि यह रिपोर्ट भारत की संप्रुभता और क्षेत्रीय अखंडता का उल्लंघन करती है। गुरुवार को रिलीज रिपोर्ट में संयुक्त राष्ट्र ने जम्मू-कश्मीर और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर, दोनों में ही कथित तौर पर मानवाधिकार उल्लंघन की बात कही है। यूएन ने इन मानवाधिकार उल्लंघनों की अंतरराष्ट्रीय जांच की मांग की है। विदेश मंत्रालय ने इसे खारिज करते हुए ऐसी रिपोर्ट सामने लाने की मंशा पर सवाल खड़ा किया है। विदेश मंत्रालय ने आगे कहा है कि यह रिपोर्ट काफी हद तक असत्यापित जानकारी का एक चुनिंदा संकलन है। विदेश मंत्रालय ने एक बार संयुक्त राष्ट्र समेत पूरी दुनिया को याद दिलाया है कि पूरा का पूरा जम्मू-कश्मीर भारत का अभिन्न अंग है और पाकिस्तान ने भारत के एक हिस्से पर जबरन अपना कब्जा कर रखा है।