‘पाकिस्तानी’ शख्स को मिलेगी भारतीय नागरिकता? 50 साल बाद
मुंबई
बॉम्बे हाई कोर्ट ने छह महीने बाद भारत सरकार को पाकिस्तान में जन्मे और 50 वर्षों से भारत में रह रहे शख्स द्वारा नागरिकता के लिए दायर की गई याचिका पर विचार करने का निर्देश दिया है। यही नहीं, मुंबई कलेक्टर ने उन्हें राजनिष्ठा की शपथ दिलाई, जो कि नागरिकता के लिए पहला कदम है। कोर्ट ने आसिफ को डिपोर्ट न करने का आदेश देने से पहले, उनके वकील सुजय कांतावाला और सरकारी वकील पूर्णिमा कंठारिया को सुनने के बाद कहा कि यह एक अनोखा मामला था।
बता दें कि करादिया का जन्म पाकिस्तान में हुआ था और जब वह भारत आए उस वक्त वह बच्चे थे। आसिफ करादिया के पिता अब्बास एक भारतीय नागरिक हैं। उनकी शादी 1962 में गुजरात में एक ऐसी महिला के साथ हुई थी, जिनके पास पाकिस्तानी पासपोर्ट था। महिला के पासपोर्ट में इस बात का जिक्र था कि उनका जन्म मुंबई में हुआ था।
1967 से भारत में रह रहे हैं आसिफ
हाई कोर्ट ने दस्तावेजों में देखा, 'आसिफ की मां अपनी मां के घर कराची गई थीं, जहां पर 19 अप्रैल 1965 को उनका (आसिफ) जन्म हुआ था।' मां अपने बेटे के साथ 1967 में वापस भारत आईं और तब से यहां रह रही थीं। आसिफ लंबे समय से वीजा पर भारत में रह रहे हैं। वह अपने परिवार के साथ नागपाड़ा में रहते हैं।
2005 में आसिफ ने किया था आवेदन
आसिफ के पिता ने डिपोर्ट किए जाने के डर से अपने बेटे के लिए भारतीय नागरिकता की मांग करते हुए एक याचिका डाली। यही नहीं, आसिफ ने भारतीय नागरिकता के लिए मार्च 2005 में आवेदन किया। उनका मामला सिटिजनशिप ऐक्ट के सेक्शन 5 के तहत है, जिसमें आसिफ भारतीय नागरिकता दिए जाने के योग्य थे। इसके अलावा भारतीय संविधान का अनुच्छेद 5, शख्स को इस बात की अनुमति देता है कि यदि उसके माता-पिता का जन्म भारत में हुआ है तो वह नागरिक बन सकता है।
पाकिस्तानी पासपोर्ट में आसिफ का नाम दर्ज
कराची में आसिफ के जन्म के बाद उनकी मां के पाकिस्तानी पासपोर्ट में उनका नाम दर्ज हो गया। हालांकि, 1972 में भारत सरकार ने उनकी मां द्वारा पाकिस्तानी पासपोर्ट सौंपे जाने के बाद उन्हें भारत की नागरिकता प्रदान कर दी। आसिफ ने एक भारतीय महिला के साथ शादी की है और उनके तीन बच्चे हैं, जो भारतीय नागरिक हैं। सिटिजनशिप ऐक्ट के तहत उन्होंने अनुरोध किया कि वह नागरिकता के हकदार हैं।