नाभि खिसकने या टलने पर, इन चीजों का रखें विशेष ध्‍यान

बचपन में खेलते हुए या कोई भारी सामान उठाने से पेट दर्द की वजह से जब कभी नाभि खिसक जाती थी तो अक्‍सर दाई को बुलाकर घर में दिखवाया जाता था कि कहीं नाभि तो नहीं खिसक गई? नाभि खिसकना जिसे आम भाषा में धरण गिरना या फिर गोला खिसकना भी कहते हैं।

यह एक ऐसी परेशानी है जिसकी वजह से पेट में दर्द होता है। कई दफा होता है रोगी को खुद समझ नहीं आता है कि अचानक उसके पेट में इतना तेज दर्द क्‍यों हो रहा है? और डॉक्‍टर्स को भी कई बार चैक करवाने के बाद रोगी को समस्‍या का हल नहीं मिलता है। वैसे तो ये परेशानी किसी को भी हो सकती है, लेकिन आमतौर पर नाभि खिसकने की परेशानी महिलाओं में सबसे अधिक पाई गई है।

आइए जानते कि किन वजहों से नाभि खिसक जाती है? नाभि की सफाई को न कीजीए नजरअंदाज, वरना हो सकता है ये इंफेक्‍शन
नाभि खिसकने के कारण?

खेलते-कूदते समय भी आपकी अचानक से नाभि खिसक जाती है। असावधानी से दाएं-बाएं झुकने, दोनों हाथों से या एक हाथ से अचानक भारी बोझ उठाने, तेजी से सीढ़ियां चढ़ने-उतरने, सड़क पर चलते हुए गड्ढे में अचानक पैर चले जाने या अन्य कारणों से किसी एक पैर पर भार पड़ने या झटका लगने से नाभि इधर-उधर हो जाती है। कभी कभी कुछ अनाप शनाप खाने से भी ये समस्‍या हो सकती है।

क्‍या होता है जब नाभि खिसकती है?
पेट में धरण पड़ने से या नाभि खिसकने से पेट में तेज दर्द और दस्त की समस्या हो जाती है। नाभि खिसकने पर रोगी को अपच और कब्ज की समस्या हो जाती है। दर्द से पेट में बहुत जोर से मरोड़े आने लगती है। नाभि में तेल की चंद बूंदों से पाएं सारे दर्द और तकलीफों से छुटकारा

ऐसी गलती ना करें
घर में बड़े बुर्जुगों को नाभि का सही ज्ञान होता था, इसलिए वो अपने अनुभव से नाभि को सही जगह लाने में पारंगत होते थे। अपनी तरफ से कभी भी खुद कभी भूले से भी कोशिश न करें। नाभि यदि अपनी सही जगह पर आने की बजाय कहीं और खिसक गई तो समस्‍या और विकट हो सकती है। ऊपर की ओर खिसकने से सांस की दिक्कत हो जाती है, लीवर की ओर चले जाने से वह खराब हो जाता है। यदि नाभि पेट के बिलकुल मध्य में आ जाए तो मोटापा हो जाता है। इसलिए आसपास किसी अनुभवी दाई का मदद से नाभि को वापस अपनी जगह लाया जा सकता है वरना जाकर डॉक्‍टर को दिखाएं।

ऐसे पहचानें नाभि खिसक गई है?
पेट दर्द के दौरान कि नाभि खिसक गई है, इस बात की पहचान कैसे होगी? सबसे आसान तरीका है लेटकर नाभि को दबाकर जांच करना। रोगी को पूरी तरह लिटाकर, उसकी नाभि को हाथ की चारों अंगुलियों से दबाएं। यदि नाभि के ठीक बिलकुल नीचे कोई धड़कन महसूस हो तो इसका मतलब है कि नाभि अपने स्थान पर ही है। लेकिन यही धड़कन यदि नाभि के नीच ना होकर कहीं आसपास महसूस हो रही हो, तो समझ जाएं कि नाभि अपनी जगह पर नहीं है।

घरेलू उपचार

गुड़ और सौंफ
10 ग्राम सौंफ को पीसकर उसमें 50 ग्राम गुड़ मिलाकर सुबह खाली पेट खाएं। 2-3 दिन इसका सेवन करने से नाभि अपनी जगहें पर आ जाएगी।

सरसों का तेल
3-4 दिन तर लगातार सुबह खाली पेट सरसों के तेल की कुछ बूदें नाभि में डालें। इससे नाभि धीरे-धीरे अपनी जगहें पर आनी शुरू हो जाएगी।

सूखे आंवला और नींबू
सूखें आंवले को पीसकर उसमें नींबू का रस मिलाकर नाभि के चारों तरफ बांधकर रोगी को 2 घंटा जमीन पर लेटा दें। दिन में 2 बार ऐसा करने से नाभि अपनी जगहें पर आ जाएगी।

नमक और गुड़
नमक और गुड़ को एक साथ मिलाकर खाने से भी नाभि अपनी जगह आ जाती है।

मूंग की खिचड़ी
नाभि खिसक जाने पर सिर्फ और सिर्फ मूंग की खिचड़ी ही खाइए। क्‍योंकि नाभि खिसकने पर ज्‍यादा भारी खाना नहीं खाना चाहिए। इससे पेट पर कम दबाव बनता है।

इन चीजों का करे परहेज
जब तक नाभि फिर से अपनी सही जगह नहीं आ जाती है तब तक कुछ बातों का विशेष ख्‍याल रखें। नाभि खिसकने के दौरान किसी भी तरह की एक्‍सरसाइज न करें। भारी वजन न उठाएं और कोई भारी काम न करें। जहां तक हो गुनगुना पानी ही पीएं। हल्‍का खाने खाएं और मिर्च मसालें को इग्‍नोर करें। ढ़ीले कपड़े ही पहनें। तेज मल या मूत्र लगनें पर इसे रोकें नहीं।

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